मिस्र के कवरेज को इस्लामी कट्टरपंथ के साथ जोड़कर देखने की वजह से पश्चिमी मीडिया वहां के आंदोलन में शामिल महिलाओं के दृश्य नहीं दिखाता। भारत का एक भी पत्रकार वहां नहीं है। भारतीय मीडिया पश्चिमी देशों के न्यूज सोर्स पर निर्भर है। इसलिए भारतीय समाचार माध्यमों में भी यही इमेज जा रही है। We are all Khaled Said में पोस्ट किया गया यह अलबम बताता है कि मिस्र में महिलाएं बड़ी संख्या में सड़कों पर हैं।
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